शिम्भावली विकास खंड कार्यालय सभागार में ग्राम प्रधानों और खंड विकास सहायकों के टीबी संवेदीकरण कार्यशाला आयोजित।

पुष्पेंद्र कुमार
हापुड़। खंड विकास कार्यालय, शिम्भावली के सभागार में सोमवार को टीबी मुक्त पंचायत अभियान के अंतर्गत संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के दौरान शिम्भावली विकास खंड के ग्राम प्रधान और खंड विकास सहायकों का टीबी संवेदीकरण किया गया। खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) डॉ0 हरित कुमार की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम के दौरान जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ0 राजेश सिंह की अगुवाई में क्षय रोग विभाग की टीम द्वारा टीबी मुक्त ग्राम पंचायत अभियान के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इस मौके पर सहायक खण्ड विकास अधिकारी श्री शिवम दुबे ने सभी ग्राम प्रधानों से अपने-अपने गांव के टीबी मरीजों को गोद लेने का आह्वान किया। ग्राम प्रधानों को बताया गया कि टीबी मरीजों को गोद लेकर उन्हें भावनात्मक और सामाजिक सहयोग उपलब्ध कराना है। टीबी रोगियों को पुष्टाहार उपलब्ध कराने के साथ ही उपचार पूरा होने तक दवा खाते रहने के लिए प्रेरित करते रहना है। ऐसे करने से टीबी रोगियों को बीमारी से रिकवरी में मदद मिलती है।
एडीओ (पंचायत) श्री शिवम पांडे ने कार्यशाला में गांव की स्वच्छता व टीबी उन्मूलन कार्यक्रम पर प्रकाश डाला। साथ ही ग्राम पंचायत विकास समिति व ग्राम पंचायत स्वास्थ्य समिति का गठन करके स्वास्थ्य विभाग का क्षय रोग मुक्त ग्राम पंचायत कराने में सहयोग की अपील की! कार्यशाला में जिला क्षय रोग विभाग से जिला पीपीएम समन्वयक
सुशील चौधरी ने टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि जनपद के सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी की जांच और उपचार की सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ क्षय रोगियों को उनके घर के नजदीक बनाए गए डॉट से दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।
जिला पीपीएम समन्वयक ने ग्राम प्रधानों से आह्वान किया कि अपने-अपने गांव में टीबी के लक्षणों के बारे में जानकारी दें और यदि किसी व्यक्ति में एक भी लक्षण नजर आता है तो उसे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर टीबी की जांच कराने के लिए प्रेरित करें। दो सप्ताह से अधिक खांसी या बुखार रहना, खांसी के साथ बलगम या खून आना, रात में सोते समय पसीना आना, थकान रहना, अचानक वजन कम होना या सीने में दर्द रहना टीबी के लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने टीबी के हर रोगी को उपचार जारी रहने तक निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत हर माह पांच सौ रुपए का भुगतान किया जाता है। यह राशि सीधे रोगी के बैंक खाते में भेजी जाती है।